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बदायूं: कादरचौक थाने के दरोगा पर नाबालिग से थाने में दुष्कर्म का आरोप, कोर्ट में पीड़िता ने खोली सच्चाई
रिपोर्ट: शिव प्रताप सिंह | सागर और ज्वाला न्यूज़
बदायूं जनपद के कादरचौक थाना क्षेत्र से एक बेहद शर्मनाक और गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें एक नाबालिग लड़की ने थाने में तैनात उपनिरीक्षक (दरोगा) पर थाने के भीतर ही दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है। यह आरोप कोई सामान्य शिकायत नहीं, बल्कि पीड़िता द्वारा अदालत में दिए गए कलमबंद बयान पर आधारित है, जिसने पूरे पुलिस महकमे को झकझोर कर रख दिया है।
तमिलनाडु से बरामद, थाने में उत्पीड़न: घटना की पृष्ठभूमि
9 जून 2025 को कादरचौक क्षेत्र की एक नाबालिग लड़की के परिजनों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। परिजनों का आरोप था कि भमुइया गांव निवासी एक युवक, मुजक्किर, उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर तमिलनाडु ले गया है। पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अपहरण की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया और सर्विलांस के माध्यम से आरोपी की लोकेशन ट्रेस की। 20 जून को बदायूं पुलिस की टीम ने लड़की को तमिलनाडु से सकुशल बरामद कर लिया।
21 जून की रात: थाने में रुकवाई गई पीड़िता, उसी रात दरोगा पर लगा घिनौना आरोप
बरामदगी के अगले ही दिन, यानी 21 जून की रात को दरोगा हरिओम राजपूत, एक महिला कांस्टेबल और एक सिपाही की मौजूदगी में पीड़िता को बदायूं लाया गया। लेकिन यहीं से शुरू होती है एक दर्दनाक कहानी, जिसे पीड़िता ने अदालत के समक्ष बयान देते हुए उजागर किया।
आरोप है कि उसी रात लड़की को थाने में रुकवाया गया, जहाँ दरोगा हरिओम ने अपने सरकारी कमरे में उसे बुलाकर दुष्कर्म किया। इसके बाद उसे धमकी दी गई कि यदि किसी को बताया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। पीड़िता की चुप्पी उसी डर का परिणाम थी, लेकिन जब न्यायिक प्रक्रिया के तहत उसे बयान दर्ज कराने का अवसर मिला, तो उसने साहस जुटाकर पूरा सच सामने रख दिया।
मेडिकल परीक्षण, 164 सीआरपीसी बयान और बाल कल्याण समिति की निगरानी में खुला सच
पीड़िता को महिला संरक्षण गृह (वन स्टॉप सेंटर) भेजा गया, जहां चिकित्सकीय परीक्षण और उम्र का निर्धारण किया गया। उसके बाद उसे न्यायालय में पेश कर मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 164 के अंतर्गत कलमबंद बयान दर्ज कराए गए। अपने बयान में पीड़िता ने थाने के भीतर हुए दुष्कर्म की आपबीती बयान की। उसके बाद बाल कल्याण समिति की देखरेख में उसे परिजनों को सौंपा गया, जहां उसने पूरे घटनाक्रम की जानकारी अपने परिवार को भी दी।
दरोगा का ट्रांसफर पहले ही हो चुका, अब कानूनी शिकंजा तय
जानकारी के अनुसार, आरोपी दरोगा हरिओम राजपूत का तबादला पहले ही शाहजहांपुर जनपद में कर दिया गया था। वह 25 जून को कादरचौक थाने से कार्यमुक्त होकर रवाना हो चुका है। हालांकि अब जब पीड़िता के बयान और मेडिकल रिपोर्ट जैसे ठोस साक्ष्य सामने आ चुके हैं, तो कानूनी कार्रवाई की दिशा में कदम तेज़ हो गए हैं।
एसएसपी ने दिए निष्पक्ष जांच के आदेश, उच्चस्तरीय टीम गठित
बदायूं के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. ब्रजेश सिंह ने मामले को अत्यंत गंभीरता से लिया है। उन्होंने एक एसएसओ स्तर के अधिकारी को जांच सौंपी है और स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी साक्ष्यों को जोड़कर निष्पक्ष जांच की जाए। मीडिया से बातचीत में एसएसपी ने कहा:
“हमारे लिए कानून सबके लिए एक समान है। यदि जांच में आरोप सिद्ध होते हैं तो दोषी के खिलाफ कठोरतम कानूनी कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह कोई भी हो।”
थानों की सुरक्षा प्रणाली पर उठे सवाल, महिला संगठनों में आक्रोश
यह घटना उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली और थानों में महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। जहाँ एक ओर थाने को जनता की सुरक्षा का केंद्र माना जाता है, वहीं यदि उसी स्थान पर एक नाबालिग के साथ इस तरह की घटना होती है, तो यह समूचे तंत्र पर एक गहरा प्रश्नचिह्न है।
राष्ट्रीय महिला आयोग सहित कई सामाजिक संगठनों ने इस घटना पर कड़ा संज्ञान लिया है और आरोपी पुलिसकर्मी को निलंबित कर गिरफ्तारी की मांग की है।
निष्कर्ष:
बदायूं की यह घटना केवल एक पीड़िता की आपबीती नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था की उन दरारों को उजागर करती है, जिन पर पुनः चिंतन और सुधार की सख्त आवश्यकता है। पुलिस विभाग की निष्पक्षता और संवेदनशीलता की अग्निपरीक्षा अब शुरू हो चुकी है। देखना यह होगा कि दोषी दरोगा के विरुद्ध न्याय प्रणाली कितनी तेजी और कठोरता से अपना काम करती है।