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University Grants Commission ने राजस्थान के श्री जगदीशप्रसाद झाबरमल तिबड़ेवाल विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश पर पांच साल के लिए लगाया प्रतिबंध

University Grants कमीशन ने राजस्थान के श्री जगदीशप्रसाद झाबरमल तिबड़ेवाल विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश पर पांच साल के लिए लगाया प्रतिबंध

University Grants Commission (UGC) ने राजस्थान के श्री जगदीशप्रसाद झाबरमल तिबड़ेवाल विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय यूजीसी द्वारा विश्वविद्यालय के नियमन और शैक्षिक शर्तों का पालन न करने के कारण लिया गया है। इसके अलावा, यूजीसी के विशेष स्थायी समिति ने विश्वविद्यालय में चल रहे पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश दिया है।

यूजीसी सचिव ने जारी किया नोटिफिकेशन

यूजीसी के सचिव प्रोफेसर मनीष जोशी ने इस संबंध में बुधवार को एक नोटिफिकेशन जारी किया। यूजीसी ने छात्रों और अभिभावकों से अपील की है कि वे इस विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने से बचें। यह प्रतिबंध शैक्षिक सत्र 2025-26 से लेकर 2029-30 तक लागू रहेगा। इसके अलावा, यूजीसी ने विद्यार्थियों को सलाह दी है कि वे आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अधिक जानकारी प्राप्त करें।

इन विश्वविद्यालयों पर भी प्रतिबंध

इससे पहले, यूजीसी ने तीन अन्य विश्वविद्यालयों पर भी पीएचडी प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया था। यूजीसी ने ओपीजेएस विश्वविद्यालय (चुरू), सनराइज विश्वविद्यालय (अलवर) और सिंघानिया विश्वविद्यालय (झुंझुनू) को शैक्षिक नियमों और पीएचडी के नियमन का उल्लंघन करने के कारण 2025-26 से 2029-30 तक पीएचडी प्रवेश पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इन तीनों विश्वविद्यालयों को जनवरी 2025 में यूजीसी ने पीएचडी प्रवेश तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्देश दिया था।

University Grants कमीशन ने राजस्थान के श्री जगदीशप्रसाद झाबरमल तिबड़ेवाल विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश पर पांच साल के लिए लगाया प्रतिबंध

यूजीसी के नियमों का पालन न करने के कारण प्रतिबंध

यूजीसी ने इन विश्वविद्यालयों के शैक्षिक मानकों के उल्लंघन के कारण यह प्रतिबंध लगाया। यूजीसी ने इन विश्वविद्यालयों के प्रवेश प्रक्रिया, शोध सलाहकार समिति (RAC) के गठन और थेसिस मूल्यांकन मानकों की जांच की। इसके बाद, यूजीसी ने पाया कि ये विश्वविद्यालय अपनी पीएचडी की डिग्री देने के लिए यूजीसी के निर्धारित नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। इन विश्वविद्यालयों से प्राप्त जवाब संतोषजनक नहीं पाए गए, जिससे पीएचडी प्रवेश पर पांच साल के लिए रोक लगाने का निर्णय लिया गया।

यूजीसी ने स्पष्ट किया कि इन विश्वविद्यालयों में पीएचडी डिग्री की मान्यता को लेकर कई गंभीर मुद्दे थे, जिनमें प्रवेश परीक्षा का पालन, शोध सलाहकार समिति का गठन, और शोध पत्रों की गुणवत्ता जैसी समस्याएँ शामिल थीं। इन सभी मामलों में गंभीर खामियां पाई गईं, जिसके कारण पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को रोकने का फैसला लिया गया।

यूजीसी की शैक्षिक नीतियों पर फोकस

यूजीसी की यह कार्रवाई उन विश्वविद्यालयों पर केंद्रित है जो अपने प्रवेश और शैक्षिक मानकों का पालन नहीं करते। यूजीसी का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी विश्वविद्यालय अपने शैक्षिक और शोध मानकों को ऊंचा बनाए रखें और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करें। यूजीसी द्वारा लगाए गए इस प्रतिबंध से इन विश्वविद्यालयों में छात्रों को पीएचडी कोर्स में दाखिला लेने का मौका नहीं मिलेगा, जिससे इन विश्वविद्यालयों की प्रतिष्ठा पर भी असर पड़ेगा।

पीएचडी के लिए यूजीसी के दिशा-निर्देश

यूजीसी ने पीएचडी कोर्स के लिए कुछ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनका पालन सभी विश्वविद्यालयों को करना अनिवार्य है। इनमें प्रवेश परीक्षा का आयोजन, शोध सलाहकार समिति का गठन, और शोध पत्रों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना शामिल है। यूजीसी की इन शर्तों का पालन न करने वाले विश्वविद्यालयों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है, ताकि शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार हो सके।

छात्रों के लिए महत्वपूर्ण सलाह

यूजीसी ने विद्यार्थियों और अभिभावकों से अपील की है कि वे इन विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने से पहले पूरी जानकारी प्राप्त कर लें। यूजीसी की वेबसाइट पर इन विश्वविद्यालयों के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध है, जिसे छात्र और अभिभावक ध्यान से पढ़ सकते हैं। इसके अलावा, यूजीसी ने चेतावनी दी है कि जो विद्यार्थी इन विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने का निर्णय लेते हैं, वे भविष्य में समस्याओं का सामना कर सकते हैं, क्योंकि इन विश्वविद्यालयों में पीएचडी डिग्री के लिए मान्यता नहीं होगी।

शैक्षिक मानकों को सुधारने की आवश्यकता

यूजीसी की यह कार्रवाई शैक्षिक मानकों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सुनिश्चित करेगा कि केवल वे विश्वविद्यालय जो उच्च शैक्षिक मानकों को बनाए रखते हैं, ही पीएचडी डिग्री प्रदान कर सकेंगे। इससे न केवल छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी, बल्कि देश में उच्च शिक्षा के स्तर को भी बढ़ावा मिलेगा।

यूजीसी की यह कार्रवाई उन विश्वविद्यालयों के लिए एक चेतावनी है जो अपने शैक्षिक और अनुसंधान मानकों को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। इससे अन्य विश्वविद्यालयों को भी यह संदेश जाएगा कि अगर वे यूजीसी के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करेंगे, तो उन्हें भी ऐसी ही सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

राजस्थान के श्री जगदीशप्रसाद झाबरमल तिबड़ेवाल विश्वविद्यालय और अन्य विश्वविद्यालयों पर पीएचडी प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय शैक्षिक गुणवत्ता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। इससे छात्रों को यह सुनिश्चित करने का अवसर मिलेगा कि वे केवल उन विश्वविद्यालयों से पीएचडी डिग्री प्राप्त करें जो उच्च शैक्षिक मानकों को बनाए रखते हैं। यूजीसी की इस कार्रवाई से पूरे देश में उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं।

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