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“मोक्ष का द्वार: जानें 2024 की मोक्षदा एकादशी की तिथि, महत्व, व्रत विधि और गीता जयंती का रहस्य”

“मोक्ष का द्वार: जानें 2024 की मोक्षदा एकादशी की तिथि, महत्व, व्रत विधि और गीता जयंती का रहस्य”

मोक्षदा एकादशी 2024: तिथि, महत्त्व, व्रत विधि और कथा का संपूर्ण विवरण

मोक्षदा एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित है और इसे “मोक्ष प्राप्ति का द्वार” कहा जाता है। इस दिन पवित्र व्रत और पूजा करने से न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है। इसे गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया था।


 

मोक्षदा एकादशी 2024 में कब है?

तिथि: 11 दिसंबर 2024 (बुधवार)।

एकादशी तिथि आरंभ: 10 दिसंबर 2024, रात 11:15 बजे।

एकादशी तिथि समाप्त: 11 दिसंबर 2024, रात 09:30 बजे।

पारण का समय: 12 दिसंबर 2024, सुबह 07:00 से 09:15 तक।


 

मोक्षदा एकादशी का महत्व

1. पापों से मुक्ति: इस दिन किए गए व्रत और पूजा से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं।

2. पितरों की आत्मा की शांति: यह व्रत पितरों को नरक से मुक्त कर स्वर्ग का द्वार प्रदान करता है।

3. धर्म और अध्यात्म का प्रचार: यह दिन व्यक्ति को धर्म, सत्य और कर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

4. आध्यात्मिक जागरूकता: गीता जयंती के रूप में इस दिन भगवद्गीता का पाठ करने से मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।


 

व्रत और पूजा विधि

1. स्नान और संकल्प:
प्रातःकाल गंगाजल मिले जल से स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

2. भगवान विष्णु की पूजा:
भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक, धूप, फल, और तुलसी पत्र अर्पित करें।

3. गीता पाठ:
इस दिन श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना विशेष पुण्यकारी माना गया है।

4. भजन-कीर्तन और जागरण:
रात को जागरण कर भगवान विष्णु के भजन गाएं।

5. दान-पुण्य:
गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं, वस्त्र और धन का दान करें।


 

मोक्षदा एकादशी की कथा

कथा महाभारत काल से जुड़ी है, जब भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को मोक्षदा एकादशी का महत्व बताया। कथा के अनुसार, गोकुल के वैखानस नामक राजा को स्वप्न में उनके पिता की आत्मा नरक में कष्ट भोगते हुए दिखाई दी। राजा ने इस समस्या का समाधान जानने के लिए अपने राजगुरु से परामर्श लिया।

राजगुरु ने बताया कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से उनके पिता को नरक से मुक्ति मिल सकती है। राजा ने श्रद्धापूर्वक व्रत किया और भगवान विष्णु की पूजा की। व्रत की पूर्णता पर भगवान विष्णु ने प्रकट होकर राजा के पिता को नरक से मुक्त कर स्वर्ग में स्थान दिया।


मोक्षदा एकादशी का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण

1. वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
व्रत और उपवास से शरीर का डिटॉक्स होता है और पाचन तंत्र को आराम मिलता है। मानसिक शांति के लिए ध्यान और पूजा सहायक होते हैं।

2. आध्यात्मिक दृष्टिकोण:
यह दिन व्यक्ति को अपने पापों का प्रायश्चित करने और आत्मा की शुद्धि का अवसर प्रदान करता है।


 

मोक्षदा एकादशी का उपदेश

1. धर्म और सत्य के मार्ग पर चलें।

2. भगवद्गीता के उपदेशों को अपने जीवन में अपनाएं।

3. श्रद्धा और भक्ति से भगवान विष्णु की पूजा करें।


 

निष्कर्ष

मोक्षदा एकादशी का व्रत पवित्रता और आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है। यह दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और पितरों के उद्धार के लिए आदर्श माना गया है। 11 दिसंबर 2024 को श्रद्धा और नियमों के साथ इस व्रत का पालन करने से जीवन और आत्मा की शुद्धि प्राप्त होती है।

 

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