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‘चीन का जिक्र नहीं होना चाहिए था’, Modi-Trump बैठक पर भड़का ड्रैगन!

'चीन का जिक्र नहीं होना चाहिए था', Modi-Trump बैठक पर भड़का ड्रैगन!

Modi-Trump: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका दौरे के दौरान पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने व्यापार, रक्षा सहयोग और क्वाड साझेदारी को मजबूत करने जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। इस बैठक में चीन का भी जिक्र हुआ, जिससे ड्रैगन भड़क उठा। चीन ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी भी देश के आपसी संबंधों में चीन को मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।

चीन का जिक्र क्यों आया?

पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक पत्रकार ने भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर सवाल किया। इस पर ट्रंप ने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा पर संघर्ष जारी है और यह काफी गंभीर स्थिति है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत और चीन चाहें तो वे इस विवाद को हल करने में मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं।

ट्रंप ने कहा, “मैं भारत को देख रहा हूं, सीमा पर संघर्ष बहुत हिंसक हैं। मुझे लगता है कि यह संघर्ष जारी रहेगा। अगर मैं इसमें किसी तरह से मदद कर सकता हूं, तो मुझे खुशी होगी, क्योंकि इसे रोकना जरूरी है।”

ट्रंप की इस टिप्पणी से चीन नाराज हो गया और उसने इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।

चीन का कड़ा ऐतराज: ‘हमें मुद्दा न बनाएं’

चीन ने इस बैठक में अपने जिक्र पर नाराजगी जताते हुए कहा कि किसी भी देश के आपसी संबंधों में चीन को मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए और न ही इससे टकराव को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा, “चीन का मानना है कि किसी भी देश के संबंधों और सहयोग में किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। साथ ही, किसी भी देश के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। यह क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए लाभकारी होना चाहिए।”

चीन की भूमिका पर ट्रंप का बयान

ट्रंप ने न केवल भारत-चीन विवाद पर टिप्पणी की बल्कि रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने में चीन की संभावित भूमिका पर भी बात की। उन्होंने कहा कि चीन एक महत्वपूर्ण देश है और वह रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को खत्म करने में मदद कर सकता है।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि चीन इस युद्ध को समाप्त करने में हमारी मदद कर सकता है। मुझे उम्मीद है कि चीन, भारत, रूस और अमेरिका को मिलकर काम करना चाहिए। यह बेहद जरूरी होगा।”

'चीन का जिक्र नहीं होना चाहिए था', Modi-Trump बैठक पर भड़का ड्रैगन!

ट्रंप के इस बयान से साफ था कि वे चीन को वैश्विक शांति प्रक्रिया में एक अहम खिलाड़ी के रूप में देखते हैं, लेकिन इसके बावजूद चीन इस बयान से संतुष्ट नहीं दिखा।

चीन के साथ अच्छे संबंधों पर ट्रंप का जोर

डोनाल्ड ट्रंप ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह भी कहा कि वे चीन के साथ अपने संबंधों को सुधारने के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि जब वे राष्ट्रपति थे, तब तक उनके और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बहुत अच्छे संबंध थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण यह रिश्ता खराब हो गया।

उन्होंने कहा, “हम चीन के साथ बहुत अच्छे संबंध रखेंगे। जब तक कोविड नहीं आया था, मेरे और राष्ट्रपति शी के बीच बहुत अच्छे संबंध थे। एक नेता के रूप में हम बहुत करीब थे।”

सैन्य तनाव को कम करना चाहते हैं ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने सैन्य तनाव को कम करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि वे खास तौर पर परमाणु हथियारों की होड़ को खत्म करना चाहते हैं और इसके लिए जल्द ही चीन और रूस के राष्ट्रपतियों से मुलाकात करेंगे।

ट्रंप ने कहा, “मैं चीन और रूस से मिलने जा रहा हूं। हम देखेंगे कि क्या सैन्य तनाव को कम किया जा सकता है।”

भारत-चीन संबंधों पर ट्रंप का प्रभाव

ट्रंप के बयान से यह साफ होता है कि वे अमेरिका के अगले राष्ट्रपति बनने की स्थिति में भारत-चीन मुद्दे पर अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि दोनों पक्ष सहमत होते हैं, तो वे मध्यस्थता करने को तैयार हैं। हालांकि, भारत पहले भी कह चुका है कि वह अपने पड़ोसी देशों के साथ किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के बिना ही बातचीत कर विवाद हल करना चाहता है।

चीन की आक्रामक नीति और भारत का रुख

चीन लगातार भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर आक्रामक रुख अपनाता रहा है। लद्दाख में गलवान घाटी की झड़प से लेकर अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ तक, चीन की नीतियां हमेशा से भारत के लिए चुनौती रही हैं।

भारत इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप से कह चुका है कि वह किसी भी बाहरी हस्तक्षेप के बिना चीन से बातचीत के जरिए सीमा विवाद सुलझाना चाहता है। लेकिन चीन की विस्तारवादी नीतियां और उसकी बढ़ती सैन्य ताकत इस प्रक्रिया को मुश्किल बना रही हैं।

क्या आगे बढ़ेगी भारत-अमेरिका साझेदारी?

मोदी और ट्रंप की बैठक से साफ संकेत मिलते हैं कि भारत और अमेरिका अपनी रक्षा और व्यापार साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत एक मजबूत रणनीतिक साझेदार बने और चीन की बढ़ती शक्ति को संतुलित करे।

क्वाड (Quad) साझेदारी को मजबूत करने पर जोर देने से भी साफ हो गया है कि भारत और अमेरिका चीन की बढ़ती आक्रामकता से निपटने के लिए मिलकर काम करना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की बैठक के दौरान चीन का जिक्र होने से ड्रैगन भड़क गया। चीन ने साफ कहा कि उसे किसी भी देश के आपसी संबंधों में मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए। वहीं, ट्रंप ने भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर मध्यस्थता की पेशकश की, जिससे चीन और ज्यादा नाराज हुआ।

ट्रंप ने यह भी कहा कि चीन, रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने में मदद कर सकता है और वे चीन और रूस के राष्ट्रपतियों से इस मुद्दे पर बात करेंगे।

भारत और अमेरिका की बढ़ती नजदीकी से चीन असहज महसूस कर रहा है और यह साफ दिखता है कि वह इस साझेदारी से परेशान है। आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि चीन इस मुद्दे पर किस तरह प्रतिक्रिया देता है और भारत-अमेरिका के रिश्ते किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।

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