इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक आदेश: अब अभियुक्त को एक ही जमानती पर मिल सकेगी जमानत
1. इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: अब एक ही जमानतदार पर अभियुक्त को मिलेगी रिहाई
Table of Contents
Toggle2. गरीबों को राहत: हाईकोर्ट ने हटाई दो-दो जमानतदारों की शर्त, एक जमानतदार ही काफी
3. जमानत प्रक्रिया में सुधार: इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, एक जमानती पर ही होगी रिहाई
अब अभियुक्त को जेल से बाहर आने के लिए दो-दो जमानतदार जुटाने की जरूरत नहीं।
⚖️ न्यायपालिका का मानवीय चेहरा इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक आदेश – अब अभियुक्त को सिर्फ एक ही जमानती पर मिलेगी आज़ादी।
गरीबों और कमजोर वर्ग के लिए राहत की बड़ी खबर।
लखनऊ/प्रयागराज सागर और ज्वाला न्यूज।
जमानत की प्रक्रिया को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक और दूरगामी प्रभाव डालने वाला आदेश पारित किया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अब अभियुक्त को जेल से रिहा कराने के लिए दो-दो जमानतदारों की बाध्यता नहीं होगी। अदालत ने निर्देश दिया है कि यदि अभियुक्त की स्थिति और जमानतदार की क्षमता संतोषजनक हो, तो सिर्फ एक जमानतदार (single surety) पर भी अभियुक्त को जमानत दी जा सकती है।
👉क्या कहा हाईकोर्ट ने
जस्टिस विनोद दिवाकर की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि जमानत का उद्देश्य अभियुक्त को मुकदमे की सुनवाई में उपस्थित रखना है, न कि उसे अनावश्यक शर्तों के बोझ तले दबाना। अदालत ने यह भी कहा कि कई बार गरीब अभियुक्त या उसके परिवार वाले दो जमानतदार जुटाने में असमर्थ रहते हैं, जिससे उनकी रिहाई में अनुचित विलंब होता है। यह मौलिक अधिकारों के विपरीत है।
👉चार्जशीट बिना गिरफ्तारी पर भी राहत
कोर्ट ने एक और महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किया। यदि पुलिस ने किसी अभियुक्त के खिलाफ बिना गिरफ्तारी के चार्जशीट दाखिल की है, तो ऐसे मामलों में अभियुक्त को अदालत के समक्ष उपस्थित होने पर जेल न भेजा जाए। इसके बजाय अदालत अभियुक्त से पर्सनल बॉन्ड और एक जमानतदार लेकर उसे रिहा कर सकती है।
👉जिलों की अदालतों पर लागू
हाईकोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को आदेश दिया है कि यह निर्देश उत्तर प्रदेश के सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीशों तक तुरंत भेजे जाएं, ताकि निचली अदालतें इसका पालन सुनिश्चित करें। यानी यह आदेश पूरे प्रदेश की अदालतों में लागू माना जाएगा।
👉व्यवहारिक असर
हालांकि आदेश लागू हो चुका है, लेकिन व्यवहार में कुछ जिलों की अदालतें अब भी पुराने तौर-तरीकों पर चल रही हैं और दो जमानतदार की शर्त रखती हैं। वकीलों का मानना है कि जैसे-जैसे यह आदेश व्यापक रूप से प्रसारित और लागू होगा, गरीब एवं कमजोर वर्ग के अभियुक्तों को इसका सीधा लाभ मिलेगा।
👉क्यों महत्वपूर्ण है यह आदेश?
गरीब और वंचित वर्ग के लिए जमानत की प्रक्रिया आसान होगी।
👉न्यायिक प्रक्रिया में अनावश्यक देरी कम होगी।
जेलों पर भार घटेगा क्योंकि छोटे-छोटे मामलों में अभियुक्त केवल जमानतदार न मिलने के कारण जेल में नहीं रहेंगे।
मौलिक अधिकारों की सुरक्षा और संविधान की भावना के अनुरूप यह आदेश न्याय व्यवस्था में सुधार की दिशा में बड़ा कदम है।
👉वकीलों और विशेषज्ञों की राय
कानूनी जानकारों का कहना है कि यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की उस सोच से मेल खाता है, जिसमें जमानत को “नियम” और जेल को “अपवाद” बताया गया है। उनका मानना है कि इस पहल से हजारों अभियुक्तों को राहत मिलेगी और न्याय व्यवस्था में जनता का भरोसा और मजबूत होगा।
निष्कर्ष
इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह आदेश न्याय व्यवस्था में मानवीय संवेदनशीलता और व्यावहारिक सुधार दोनों का उदाहरण है। अब अभियुक्त को रिहा कराने के लिए महज एक जमानतदार ही पर्याप्त होगा, बशर्ते कि अदालत उसकी क्षमता से संतुष्ट हो। आने वाले समय में यह आदेश न्याय व्यवस्था के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।