हिंदी दिवस पर विशेष
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Toggleहिंदी : भारत की आत्मा, उत्तर प्रदेश की शान – मुरादाबाद ने दिया भाषा प्रेम का संदेश …… नीरज सोलंकी एडवोकेट
मुरादाबाद। 14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस उत्साह और गर्व के साथ मनाया गया। हिंदी केवल संवाद की भाषा नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और अस्मिता की प्रतीक है। उत्तर प्रदेश, विशेषकर मुरादाबाद की मिट्टी ने सदैव हिंदी साहित्य और संस्कृति को समृद्ध किया है। यही कारण है कि यहाँ हिंदी दिवस का आयोजन न सिर्फ परंपरा का निर्वाह है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भाषा का गौरव समझाने का अवसर भी है।
हिंदी का गौरवशाली इतिहास
संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था। तभी से हर वर्ष यह दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी आज न केवल भारत की सबसे बड़ी बोली जाने वाली भाषा है, बल्कि विश्व पटल पर अपनी पहचान बना चुकी है।
मुरादाबाद और हिंदी का रिश्ता
मुरादाबाद शिक्षा और साहित्यिक गतिविधियों का गढ़ रहा है। यहाँ की पाठशालाओं, महाविद्यालयों और साहित्य मंचों ने हिंदी के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। स्थानीय कवि और लेखक हिंदी को जन-जन तक पहुँचाने में सक्रिय रहे हैं। शहर में आयोजित कार्यक्रमों में छात्रों और युवाओं ने हिंदी में भाषण, कविता और लेखन के माध्यम से मातृभाषा के महत्व को रेखांकित किया।
उत्तर प्रदेश : हिंदी का जन्मस्थल और गढ़
उत्तर प्रदेश हिंदी की धरती माना जाता है। भारतेंदु हरिश्चंद्र, प्रेमचंद और निराला जैसे साहित्यकारों ने यहीं से हिंदी को नई ऊँचाइयाँ दीं। आज भी यूपी के कस्बों और गाँवों में हिंदी जीवन का अभिन्न हिस्सा है। मुरादाबाद से लेकर वाराणसी तक हिंदी की गूँज यह दर्शाती है कि यह भाषा केवल बोली नहीं, बल्कि संस्कृति की धरोहर है।
वैश्विक मंच पर हिंदी
फिजी, मॉरीशस, सूरीनाम, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में भी हिंदी बोलने वालों की संख्या लाखों में है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी हिंदी का सम्मान बढ़ रहा है। डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया ने हिंदी को नई पीढ़ी तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई है।
चुनौतियाँ और संकल्प
बावजूद इसके, अंग्रेज़ी के प्रभाव और तकनीकी शब्दावली के कारण हिंदी का प्रयोग कई बार पीछे छूट जाता है। शिक्षा और न्यायालय जैसे क्षेत्रों में हिंदी का सीमित उपयोग चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर उत्तर प्रदेश और मुरादाबाद जैसे क्षेत्रों से भाषा प्रेम की मजबूत पहल होगी तो पूरा देश हिंदी को और सशक्त रूप से अपनाएगा।
निष्कर्ष
हिंदी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि मातृभाषा हमारी पहचान और अस्मिता है।
मुरादाबाद से उठी आवाज़ और उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर इस संदेश को और मजबूत करती है —
“हिंदी अपनाएँ, हिंदी बढ़ाएँ और हिंदी का मान बढ़ाएँ।”