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आई वी एफ तकनीक से गर्भ धारण कराने बाली डॉ मोनाअग्रवाल पर 4 लाख का जुर्माना 

आई वी एफ तकनीक से गर्भ धारण कराने बाली डॉक्टर मोना अग्रवाल पर 4 लाख का जुर्माना 

डॉ मोना अग्रवाल पर 4लाख का जुर्माना……..उपभोक्ता फोरम के अधिवक्ता पारस वार्ष्णेय

रिपोर्ट:सागर औरज्वाला न्यूज़ ! 
संभल –आई वी एफ तकनीक से गर्भ धारण कराने का आश्वासन दिया,लाखों खर्च कराए, चक्कर लगवाए,घर जाने के लिए डिस्चार्ज करने से पूर्व अल्ट्रासाउंड भी नही कराया। बच्चा गर्भ में ना होकर ट्यूब में फंस गया बिगड़ती स्थिति देख महिला को गर्भपात कराना पडा मामला जिला उपभोक्ता आयोग पहुंचा l मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला उपभोक्ता आयोग, संभल ने चिकित्सक पर 4 लाख का जुर्माना लगा दिया

उपभोक्ता फोरम के अधिवक्ता पारस वार्ष्णेय
                   उपभोक्ता फोरम के अधिवक्ता पारस वार्ष्णेय

अधिवक्ता पारस वार्ष्णेय के अनुसार गोला गंज,बहजोई निवासी नीलू वर्मा पत्नी सचिन वर्मा काफी समय से गर्भ धारण नही कर पा रही रही थीं सुरभि आई वी एफ सेंटर मधुबनी पार्क मुरादाबाद की डाक्टर मोना अग्रवाल द्वारा समाचार पत्रों में आई वी एफ तकनीक का वर्णन किया गया पीड़ित ने वर्ष 2021 के अक्टूबर माह में डॉक्टर मोना अग्रवाल से संपर्क किया आवश्यक शुल्क जमा कराया,डॉक्टर द्वारा कई टेस्ट कराए गए और तकनीक का प्रयोग करने हेतु 1 लाख 65 हज़ार चार्ज किए गए और मई 2022 को आई वी एफ तकनीक का प्रयोग कर पीड़ित को गर्भधारण कराया गया लेकिन ना तो अल्ट्रासाऊंड कराया गया और ना ही उचित देखभाल की । लगभग दो माह बाद परेशानी होने पर दिनांक 2 जुलाई,2022 को अल्ट्रासाऊंड कराया गया तो पता चला कि बच्चा गर्भ में ना होकर ट्यूब में फसां हुआ है और अल्ट्रासाऊंड करने वाली चिकित्सक ने तुरंत गर्भपात कराने की सलाह दी अन्यथा स्वास्थ्य और खराब होने संबंधी चेतावनी दी जिस पर पीड़ित महिला ने जिला उपभोक्ता आयोग संभल में डॉक्टर मोना अग्रवाल के विरूद्ध परिवाद योजित किया और व्यय धनराशि की मांग की चिकित्सक ने भी विधि व्यवस्थाओं का वर्णन कर अपना पक्ष रखा अधिवक्ता पारस वार्ष्णेय ने बताया कि डॉक्टर मोना अग्रवाल के कृत्यों को लापरवाह पूर्ण मानते हुए जिला उपभोक्ता आयोग संभल ने डॉक्टर मोना अग्रवाल को आदेश दिया कि वह पीड़ित को 4 लाख जुर्माना व उस पर 7 प्रतिशत अदा करे साथ ही 10 हजार वाद व्यय दो माह के अंदर अदा करे अन्यथा व्याज की दर 9 प्रतिशत मानी जायेगी।

उपभोक्ता न्यायलयों में चिकित्सकों के विरूद्ध बढ़ते मामले बताते हैं कि मरीज के इलाज के प्रति चिकित्सक लापरवाह हैं l झोलाछाप चिकित्सकों ने भी चिकित्सा व्यवसाय को काफी क्षति पहुंचाई है।चिकित्सा के क्षेत्र में शासकीय हस्तक्षेप बहुत जरूरी है

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