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Toggleसाहिल के सुकूँ से किसे इंकार है लेकिन।
तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है।।
डॉ राजेंद्र पेंसिया, जुनून और जिद का एक सुंदर पर्याय
किसी शायर ने एक बहुत सुंदर शेर उन लोगों की शान में कहा है।
जो दुनिया से कुछ अलग करके दिखाने का जनून रखते हैं। दुनिया में वही शख़्स है ताज़ीम के क़ाबिल हैं ,
जिस शख़्स ने हालात का रुख़ मोड़ दिया हो। यह राजस्थान के एक छोटे से ग्राम करणपुर में जन्मे डॉक्टर राजेंद्र पेसिया पर बिल्कुल सटीक साबित होता है । डॉ राजेंद्र पेंसिया जो की राजस्थान के एक अत्यंत पिछड़े इलाके में जन्मे थे उन्होंने अपने जुनून के बल पर न केवल अपना, अपने परिवार का व अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया अपितु उस क्षेत्र के युवाओं तथा आने वाली पीढ़ी के सामने उदाहरण पेश किया कि जीतने की जिद ठान लेने वालों के लिए संसार में कोई मंजिल असंभव नहीं होती।
संसाधनों की कमी तथा आसपास के माहौल को देखते हुए बचपन से ही युवक राजेंद्र के मन में किसी सरकारी विभाग में एक क्लर्क या तृतीय श्रेणी के किसी पद को पाने का एक आम नव युवक के समान सपना था और इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने अपना स्नातक तथा परा स्नातक की पढ़ाई संपन्न की परंतु इसी समय उनके जीवन में आए एक शिक्षक ने उनके जीवन की सोच बदल दी । उनके शिक्षक ने कहा की सरकारी नौकरी पाने के लिए वह B.Ed करें जिससे वह सरकारी टीचर आसानी से बन पाएंगे ।
एक अच्छे शिष्य की तरह अपने गुरु की बातों को मानते हुए युवक राजेंद्र ने राजस्थान विश्वविद्यालय से B.Ed की परीक्षा उत्तीर्ण की और शीघ्र ही उनका चयन सरकारी अध्यापक के पद पर हो गया जिस दिन राजेंद्र के परिजनों को राजेंद्र का सरकारी टीचर के रूप में चयन होने का समाचार प्राप्त हुआ तो हर ओर खुशियां छा गई क्योंकि अपने संपूर्ण परिवार के युवा भाई बहनों में राजेंद्र 1 मात्र ऐसे व्यक्ति थे जिसको सरकारी विभाग में नियुक्ति प्राप्त हुई थी उस दिन खूब जश्न मनाया गया और सभी ने युवक राजेंद्र को उसकी सफलता के लिए बधाइयां दी परंतु जीवन मैं कुछ कर दिखाने का जज्बा रखने वाले लोग छोटी सी सफलता पर रुका नहीं करते शायद ऐसा ही कुछ राजेंद्र के साथ था ।दो वर्ष तक एक शिक्षक के रूप में कार्य करने के पश्चात युवा राजेंद्र जयपुर जा पहुंचा जहां उसको आर ए एस की परीक्षा उत्तीर्ण कर कुछ अलग मुकाम हासिल करना था । युवा राजेंद्र के इस कदम का परिजनों व रिश्तेदारों ने विरोध किया । परंतु अपनी धुन के पक्के राजेंद ने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया और परीक्षा की तैयारी में जुट गए परन्तु उनको सफलता हाथ न लगी । परंतु पॉजिटिव सोच के युवा राजेंद्र ने अपने कदम पीछे नहीं हटाए और लगातार प्रयास करते रहे । इसी क्रम में उनका चयन खंड विकास अधिकारी,तत्पश्चात उप जिला अधिकारी के पद पर हुआ परंतु युवा राजेंद्र को तो आई ए एस से कम कुछ भी मंजूर नहीं था और अंततः जिद के पक्के राजेंद्र का चयन आई ए एस पद के लिए हो गया ।
वर्तमान में डॉ राजेंद्र पेसिया उत्तर प्रदेश के संभल जनपद के जिला अधिकारी के पद पर कार्यरत है । जिला अधिकारी पद पर कार्यरत रहते हुए डॉ राजेंद्र पेसिया ने आज के युवाओं को प्रकृति प्रेमी बनाने का बीड़ा उठा रखा है । जनपद संभल में जिला अधिकारी का पद ग्रहण किए डॉ राजेंद्र पेसिया जी को अभी एक माह का समय भी नही हुआ है।परंतु इस छोटे से समय में अपनी कार्यशैली से जनपद की जनता के दिलो में खुद के लिए एक अलग स्थान बना लिया है।
जिला अधिकारी जैसे पद की जिम्मेदारी संभाल रहें । डॉ राजेंद्र पेसिया ने मीडिया के साथ हुई अपनी पहली बैठक में ही प्रकृति के प्रति अपने लगाव को जग जाहिर कर दिया । उन्होंने आगमी बैठको में बोतल बंद पानी के प्रयोग के स्थान पर इस भीषण गर्मी के मौसम में भी घड़े के पानी पीने को प्रथमिकता देते हुए बताया कि बोतल बंद पानी न केवल हानिकारक है अपितु इसके प्रयोग में आने वाली प्लास्टिक की बोतले पर्यावरण के लिए भी हानि कारक है ।
पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव के चलते आज के युवा वर्ग में खुद को आधुनिक दिखने के नाम पर प्रयोग की जाने वाली भाषा के स्थान पर डॉ राजेंद्र पेंसिया ने जनपद संभल के सभी प्राइमरी व जूनियर वर्ग के विद्यालयों में सर/मैडम/गुड मॉर्निंग जैसे शब्दों के स्थान पर गुरुजी/दीदी जी/बहन जी/ जय हिन्द/ नमस्ते जैसे शब्दों के प्रयोग को आवश्यक बनाने का निर्देश देकर उन्होंने भारतीय वैदिक संस्कृति एवम सभ्यता से युवा वर्ग व आने वाली पीढ़ी को जोड़ने का एक अनूठा प्रयास किया है ।
संभल तहसील में थाना दिवस पर पहुंचे डॉ राजेंद्र पेंसिया जी ने जब आल्हा ऊदल द्वारा स्थापित मूसल की जर्जर हालत देखी तो अपने देश की ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति अपना लगाव दिखाते हुए इस ऐतिहासिक स्थल की तुरंत पुनः निर्माण का आदेश देकर डॉ राजेंद्र ने युवा वर्ग को अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को संभालने व उनके बारे में जानने की प्रेरणा दी। वही दूसरी ओर एक विद्यालय के निरीक्षण के दौरान अध्यापक द्वारा शिक्षण कार्य के स्थान पर मोबाइल फोन का प्रयोग करते देख गुस्से से लाल हुए डॉ राजेंद्र ने उक्त शिक्षक को निलंबित करने का आदेश देकर,सभी विभागों के कर्मियो को यह स्पष्ट संदेश दिया कि कार्य के समय लापरवाही बरतने वालो के लिए किसी प्रकार की नरमी की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
जनपद संभल के जिला अधिकारी के पद को सुशोभित किए हुए एक माह से भी कम समय में डॉ राजेंद्र ने देश ,समाज व एक आम आदमी के प्रति अपने कर्तव्यों व जुनून की एक झलक दिखाई है ।
सागर और ज्वाला न्यूज परिवार की ओर से डॉ राजेंद्र पेंसिया जी को देश ,समाज व आम आदमी के प्रति उनके समर्पण व जुनून का तहे दिल से प्रशंसा करता है और आशा करता है कि आगामी समय में वह अपने समर्पण और जुनून के चलते भारत वर्ष को एक समृद्ध ओर विकसित राष्ट्र बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेंगे ।
डॉ राजेंद्र पेंसिया की कार्य प्रणाली को देखते हुए सागर और ज्वाला न्यूज परिवार की ओर से समर्पित निम्न लिखित शब्द उनके व्यक्तित्व को व्यक्त करने का एक छोटा सा प्रयास है।
इधर फ़लक को है ज़िद बिजलियाँ गिराने की
उधर हमें भी है धुन आशियाँ बनाने की ।