Search
Close this search box.

अमर बलिदानी कोठारी बंधुओ ने पहली बार बाबरी मस्जिद पर फहराया था भगवा, राम मंदिर के लिए प्राणों का बलिदान देने वाले पहले कारसेवक

मुरादाबाद सागर और ज्वाला न्यूज।

रिर्पोट ,नीरज सोलंकी एडवोकेट ।

क्या आप जानते हैं कौन हैं कोठारी बंधु

मुरादाबाद: सागर और ज्वाला न्यूज।प्रभु श्रीराम के प्रति अटूट आस्था के धनी  युवा पीढ़ी के कारसेवकों में  नसों में खून
उबाल मार रहा था। दस मित्रो ने 34 साल पहले कारसेवा
के लिए अयोध्या जाने का फैसला किया। इनमें से आगरा के कारसेवक देवेंद्र शर्मा और मोहनलाल खंडेलवाल भी थे. उन्होने पैदल, बैलगाड़ी और वाहनों से सफरको तय कर अयोध्या पहुंचे. 2 नवंबर 990 को निहत्थे कारसेवक राम संकीर्तन करते हुए आगे बढ़ रहे थे। उसी समय मुलायम की तुगल की फरमान ने
कारसेवकों पर लाठीचार्ज और गोलियां चलाई गईं। आंखों के
सामने ही रामभक्त कोठरी बंधु लहूलुहान पड़े थे. वो पल  बेहद
दर्द नाक था

मुलायम सिंह यादव ने दावा किया था कि विवादित ढांचे पर परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। इसके लिए पुलिस- प्रशासन को कड़े निर्देश जारी किए गए थे। _गोलियां चलाने की पूरी छूट थी। इसके बाद भी कारसेवा हुई। और कारसेवकों के जुनून की गाथा कोठारी बंधुओं से ही सुनने को मिलती है। आरएसएस की शाखाओं में द्वितीय वर्ष तक प्रशिक्षित दोनों सगे भाइयों ने कारसेवा की घोषणा होते ही अयोध्या जाने की जिद शुरू कर दी। परन्तु उनके पिता ने मना कर दिया।बाद में उनके पिता हीरालाल कोठारी ने दोनों को जाने की अनुमति दे दी। उसी समय 1990 के दिसंबर महीने में दोनो भाइयों कि बहन की शादी होने वाली थी। लेकिन, अक्टूबर-नवंबर में होने वाली कारसेवा में दोनों भाइयों ने शामिल होने का फैसला कर लिया थ बहन को शादी में आने का वादा कर दोनों भाई भगवान श्री राम की मिशन को कामयाब करने के लिए निकल पड़े  वाराणसी पहुंचने पर उन्हें पता चला कि अयोध्या के लिए ट्रेन सेवा बंद कर दी गई है। रास्ते भी पूर्णता बंद हैं। दोनों ने टैक्सी ली और आजमगढ़ पहुंच गए। वहां से उन्होंने अयोध्या जाने का फैसला लिया।पैदल ही निकल गए। 200 किलोमीटर की पैदल यात्रा की। 30 अक्टूबर 1990 को दोनों भाई अयोध्या पहुंचे थे।

30 अक्टूबर से कारसेवा शुरू कि गई दोनों भाई गजब के जुनूनी थे। उनका हौसला और साहस इतना जबरदस्त था कि बिना किसी रूकावट के दोनों भाई  विवादित बाबरी ढांचे के गुंबदों तक पहुंच गए। वहां पहुंच कर भगवा ध्वज फहरा कर मुलायम सिंह यादव के उस तुगलगी फरमान कि हवा निकाल दी मुलायम ने जो चुनौति दी उसकी हवा  निकालने बाला कोई और नही वह दोनों भाई थे। दोनो भाईयो ने पुलिस की लाठियां भी खाई, लेकिन दोनों का जोश कम नहीं हुआ। 2 नवंबर को कारसेवा का अगला चरण रखा गया था। पुलिस ने इस दौरान फायरिंग शुरू कर दी। दोनों भाई एक मकान में जाकर छिप गए। मुलायम कि खूनी पुलिस एक अधिकारी ने शरद कोठारी को उस घर से पकड़ लिया। और सड़क पर खड़ाकर उन्हें गोली मार दी। बड़े भाई राम कोठारी, अपने भाई शरद को बचाने के लिए दौड़ पड़ा परंतु उस निर्दयी पुलिसने उसे भी गोली मार दी । दोनों भाइयों को बलिदान आज सफल हुआ।

चार नवंबर 1990 को दोनों भाइयों का सरयू तट पर अंतिम संस्कार किया गया।

इस दौरान कारसेवकों की भारी भीड़ सरयू तट पर उमड़ी। सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगी।
कोठारी बंधु दोनो भाई भले ही अपनी बहन पूर्णिमा की शादी में शामिल नहीं हो पाए परन्तु मंदिर आंदोलन के इतिहास में उनका नाम अमर हो गया।

 

Leave a Comment