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सुन्दर लड़की से प्रेम का इजहार

सुन्दर लड़की से प्रेम का इजहार

घटना बहुत पुरानी है पर सत्यता पर आधारित है एक धनी यात्री था। एक बार उसकी मुलाकात एक बहुत गरीब किसान की समझदार और सुंदर पुत्री से हुई, और उस धनी व्यक्ति को धीरे-धीरे उसे उस लड़की से प्रेम हो गया। एक दिन यात्री ने हिम्मत जुटाकर उस लड़की से अपने प्यार का इज़हार किया और उससे विवाह करने का प्रस्ताव रखा। लड़की ने कुछ समय सोचने को कहकर टाल दिया तथा उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया कि वह एक गरीब परिवार से है और उनके बीच असमानता है।

परन्तु उस गरीब लड़की के प्रेम में डूबे उस धनी यात्री ने हार नहीं मानी। लड़की के माता-पिता से बात की और लड़की को भी समझाने का प्रयास किया। लाख प्रयास के तथा काफी समझाने के बाद लड़की मान गई और दोनों का विवाह करा दिया गया विवाह के बाद, दोनो का जीवन प्रेम और खुशी से भरपूर चल रहा था।

कुछ समय के बाद , उस गरीब लड़की को एक चर्मरोग (त्वचा की बीमारी) कि बीमारी लग गईं, जिससे उसकी सुंदरता मुरझाने लगी। उसे यह भय (डर)सताने लगा कि कहीं उसकी सुंदरता के ढलने से उसका पति उसे छोड़ न दे। वह अपनी बीमारी को ठीक करने का हर संभव प्रयास करने लगीं

समय बीतता गया और लड़की की सुंदरता धीरे-धीरे घटती हि चली जा रही थी एक दिन उसका पति किसी काम से दूसरे शहर गया। वापसी के दौरान उसकी कार का भयानक दुर्घटना में एक्सिडेंट हो गया और उसकी आंखों की रोशनी चली गई और वह अंधा हो गया।

दुर्घटना के बाद भी उनका जीवन सामान्य और सुखी बीतने लगा। लड़की की बीमारी बढ़ती गई और वह कमजोर और बदसूरत होती गई। लेकिन पति अंधा होने के कारण उनका दांपत्य जीवन ठीक चलता रहा। वह यात्री अपनी पत्नी से पहले की तरह प्यार करता रहा।

कुछ सालों बाद बीमारी के कारण उस लड़की की मृत्यु हो गई। पत्नी की मृत्यु के बाद, यात्री बहुत दुखी हो गया और उसने शहर छोड़ने का फैसला किया। फिर उसी समय उसका पड़ोसी उसे सांत्वना देने घर आया, तो उसने कहा, “अब आप अपनी पत्नी के बिना अकेले कैसे रह पाएंगे वह आपका बहुत ख्याल रखती थी। उसने आपको कभी कोई दुःख नही आने दिया अब आपका जीवन अंधकार में है कैसे व्यतीत करोगे

उस धनी यात्री ने एक बहुत गहरी सांस ली और कहा, कि “मैं कभी अंधा था ही नहीं। मैंने अंधे होने का नाटक इसलिए किया ताकि मेरी पत्नी को उसकी बीमारी और बदसूरती के कारण यह महसूस न हो कि मैं उससे प्यार नहीं करता। और उसकी विमारी के कारण मैं उसे छोड़ ना दू मैंने इतने सालों तक बिना कुछ कहे अपनी पत्नी की खुशी के लिए हि यह नाटक किया।” इतना सुनकर पड़ोसी की आंखों में आंसू आ गए और फिर वह धनी यात्री वहां से चला गया।

यह कहानी हमको सच्चे प्रेम और समर्पण की महत्ता को सिखाती है, जिससे व्यक्ति अपने प्रियजन अपने सच्चे साथी की खुशी के लिए किसी भी हद तक जा सके।

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