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Toggleरिर्पोट, प्रधान संपादक नीरज सोलंकी एडवोकेट ।
वर्ष मैं कितनी बार मनाई जाती हैं
आज 6 अप्रैल दिन गुरुवार को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाएगा। हनुमान जयंती दो बार मनाई जाती है, पहली चैत्र मास की पूर्णिमा पर और दूसरी कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। 6 अप्रैल को मनाई जाने वाली हनुमान जयंती पर कई शुभ योग बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र में हनुमान जयंती के दिन किए जाने वाले कुछ उपाय भी बताए हैं….
सर्वार्थ सिद्धि योग में हनुमान जयंती का आरंभ हो
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साथ ही इस दिन हस्त नक्षत्र और चित्रा नक्षत्र का शुभ संयोग रहेगा और भौतिक सुख-सुविधा के स्वामी शुक्र ग्रह भी राशि परिवर्तन करेंगे। ऐसे में हनुमान जयंती पर हनुमानजी की पूजा विशेष रूप से करें तो यह आपके लिए बड़ा ही लाभकारी रहेगा। इस दिन आप महावीर हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय भी कर सकते हैं। इससे हनुमानजी आपके जीवन से तमाम कष्ट हर लेंगे और अपनी कृपा बनाए रखेंगे। आइए जानते हैं हनुमान जयंती पर किए जाने वाले इन उपायों के बारे में…
इस उपाय से सभी कष्ट होते हैं दूर
हनुमान जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त से लेकर शाम तक 11 बार सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। अगर ऐसा संभव नहीं है तो 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं। इसके साथ ही आप हनुमान अष्टक और बजरंग बाण का पाठ कर सकते हैं। ऐसा करने से हनुमानजी के सभी कष्टों को दूर करते हैं और आस पास मौजूद भूत प्रेत आदि नकारात्मक शक्तियों को भी खत्म करते हैं
आज के दिन चोला अति महत्वपूर्ण हैं।
हनुमान जयंती के दिन पूरी श्रद्धा भाव से हनुमानजी को चोला और सिंदूर के साथ पान का बीड़ा भी अर्पित करें। फिर गुड़-चना व बूंदी का प्रसाद बांट सकते हैं। सिंदूर अर्पित करने के बाद हनुमानजी के कंधों से थोड़ा सिंदूर लेकर अपने कलेजे पर लगाएं। ऐसा करने से नजर दोष खत्म हो जाता है और जीवन में सुख-समृद्धि के द्वार खुल जाते हैं।
हनुमान जयंती के दिन हनुमान मंदिर जाकर कुश के आसन पर बैठे और पांच चमेली के तेल के दीपक जलाकर रामचरित मानस या रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। इसके बाद हनुमानजी के मस्तक से थोड़ा सा सिंदूर दाहिने हाथ के अंगूठे से लें और उसको माता सीता के चरणों में लगा दें। ऐसा करने से सभी पाप दूर होते हैं और हनुमानजी मनोकामना पूरी करते हैं।
हनुमान जयंती के दिन तुलसी के 108 पत्तों पर राम राम का नाम लिखें और उसको माला के रूप में बना लें और फिर तुलसी की माला को हनुमानजी को अर्पित कर दें। इसके बाद सरसों के तेल का और घी का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से घर में धन धान्य की कमी नहीं होती है और नौकरी व व्यापार में उन्नति के योग बनते हैं।
सुरक्षा कवच की तरह काम करता है यह यंत्र
सुरक्षा कवच की तरह काम करता है यह यंत्र
हनुमान जयंती के दिन सर्वार्थ सिद्धि समेत कई शुभ योग बन रहे हैं। इन शुभ योग में हनुमान यंत्र की स्थापना करें और नियमित रूप से पूजा पाठ करें। ऐसा करने से शारीरिक और मानसिक रूप से विकास होता है और आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है। इस यंत्र की हर पूजा करने स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर रहती हैं और पूरे परिवार के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करता है।
इस उपाय से धन धान्य की नहीं होती कमी
इस उपाय से धन धान्य की नहीं होती कभी कमी
हनुमान जयंती का व्रत रखें और पास के हनुमान मंदिर में हनुमानजी को गुड़ और आटे की रोटी का लड्डू बनाकर भोग लगाएं। अगर इस तरह के लड्डू बनाना आसान नहीं है तो आप मोतीचूर के लड्डू भी हनुमानजी को अर्पित कर सकते हैं। इसके साथ ही केवड़े का इत्र व गुलाब की माला चढ़ाएं। ऐसा करने से हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में धन धान्य की कमी नहीं होती।
पंचाग के अनुसार, हनुमान जयंती 6 अप्रैल को मनाई जाएगी।
पंचाग के अनुसार, हनुमान जयंती 6 अप्रैल को मनाई जाएगी। दरअसल चैत्र पूर्णिमा की तिथि 5 अप्रैल बुधवार को सुबह 9 बजकर 19 मिनट पर आरंभ होगी और इसका समापन गुरुवार 6 अप्रैल को 10 बजकर 4 मिनट पर होगा। इसलिए उदया तिथि की मान्यता के अनुसार हनुमान जयंती 6 अप्रैल को ही मनाई जाएगी और इसी दिन व्रत रखकर बजरंगबली की पूजा की जाएगी।
हनुमान जयंती की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 6 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 6 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक है। उसके बाद आप दोपहर में 12 बजकर 24 मिनट से 1 बजकर 58 मिनट तक पूजा कर सकते हैं। इसके अलावा शाम को 5 बजकर 7 मिनट से 8 बजकर 7 मिनट तक भी पूजा का शुभ मुहूर्त है।
हनुमानजी की पूजा करने के लिए बजरंगबली को लाल पुष्प, सिंदूर, अक्षत्, पान का बीड़ा, मोतीचूर के लड्डू, लाल लंगोट और तुलसी दल अर्पित करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमानजी की फिर आरती करें। हनुमानजी को भोग के रूप में लड्डू, हलवा औा केला चढ़ाएं। इस दिन सुंदर कांड और बजरंग बाण का पाठ करने का भी विशेष महत्व माना जाता है। ऐसा करने से बजरंगबली प्रसन्न होते हैं और हमारे आस-पास से हर प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
हनुमान जन्म कथा
राम भक्त हनुमान जी को कलयुग का सबसे प्रभावशाली देवता और भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जिस समय जिस समय असुरों और देवताओं ने अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया था। तब अमृत के लिए देवता और असुर आपस में ही झगड़ा होने लगा।इसके बाद भगवान विष्णु ने मोहनी रूप धारण किया। जब भगवान शिव ने भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को देखा तो भगवान शंकर वासना में लिप्त हो गए। उस समय भगवान शिव ने अपने वीर्य का त्याग कर दिया। उस वीर्य को पवनदेव ने अंजना के गर्भ में स्थापित कर दिया। जिसके बाद चैत्र पूर्णिमा को माता अंजना के गर्भ से हनुमान जी ने जन्म लिया था। वनराज केसरी और अंजना ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया था कि वह अंजना के कोख से जन्म लेंगे। हनुमान जी को वायुपुत्र भी कहा जाता है। क्योंकि जिस समय हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया था। उस समय इंद्र ने उन पर व्रज से प्रहार किया था। जिसके बाद पवनदेव ने तीनों लोकों से वायु का प्रवाह बंद कर दिया था। इसके बाद सभी देवताओं ने हनुमान जी को आर्शीवाद दिया था।.
हरियाणा के कैथल में जन्मे थे हनुमान जी
ऐसी मान्यता है कि हुनमान जी के पिता वानरराज केसरी कपि क्षेत्र के राजा थे। हरियाणा का कैथल पहले कपिस्थल हुआ करता था। कुछ लोग इसे ही हनुमान जी की जन्म स्थली मानते हैं।
मतंग ऋषि के आश्रम में जन्मे हुनमान
एक यह भी मान्यता है कि कर्नाटक के हंपी में ऋष्यमूक के राम मंदिर के पास मतंग पर्वत है। वहां मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमान जी का जन्म हुआ था। हंपी का प्राचीन नाम पंपा था। कहा जाता है कि पंपा में ही प्रभु श्रीराम की की पहली मुलाकात हनुमान जी से हुई थी
. गुजरात के अंजनी गुफा में जन्मे संकटमोचन हनुमान
गुजरात के डांग जिले के आदिवासियों का मानना है कि यहां अंजना पर्वत के अंजनी गुफा में हनुमान जी का जन्म हुआ था।
4. झारखंड के आंजन गांव की गुफा में जन्मे बजरंगबली
कुछ लोग यह भी मानते हैं कि झारखंड के गुमला जिले के आंजन गांव में हनुमान जी का जन्म हुआ था। वहां एक गुफा है, उसे ही हनुमान जी जन्म स्थली बताई जाती है।